बसंत तुम क्यों उदास हो, किस सोच में हो ? जिंदगी की हकीकत से , क्या तुम भी परेशान हो? बसंत तुम क्यों उदास हो, किस सोच में हो ? जिंदगी की हकीकत से , क्या तुम ...
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो कोई अनकही सिहरन हो हो सकता है तुम एक किरण हो
उदास हैं सब चेहरें क्या होगा यूँ खामोशियां पूछें क्या होगा। उदास हैं सब चेहरें क्या होगा यूँ खामोशियां पूछें क्या होगा।